अन्जुरी में थी
सब रेत सी खुशी
बचाते कैसे
बिन उसके
फ़ीकी लगे दुनिया
ये कहे कैसे
धुँधला सब
अंधेरा छाता गया
सनम मेरे
कही सूरज
उगा तो है शायद
देखो तो जरा
मन का दर्द
नीला कही अभी भी
देखो मन मे
सब रेत सी खुशी
बचाते कैसे
बिन उसके
फ़ीकी लगे दुनिया
ये कहे कैसे
धुँधला सब
अंधेरा छाता गया
सनम मेरे
कही सूरज
उगा तो है शायद
देखो तो जरा
मन का दर्द
नीला कही अभी भी
देखो मन मे
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