मन के भाव
अभी भी दर्द लिए
नीले हैं दोस्त
तुम से हम
अब कहाँ -कहाँ का
क्या ज़िक्र करें
आओ सुकून
बरस जाओ कभी
मेरे घर भी
मन नहीं है
अब हम किसी से
जुस्तजू करें
जहाँ दर्द है
वही मेरी बस्ती है
दिल में धुआँ
अभी भी दर्द लिए
नीले हैं दोस्त
तुम से हम
अब कहाँ -कहाँ का
क्या ज़िक्र करें
आओ सुकून
बरस जाओ कभी
मेरे घर भी
मन नहीं है
अब हम किसी से
जुस्तजू करें
जहाँ दर्द है
वही मेरी बस्ती है
दिल में धुआँ
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