शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

नदी की धार, समंदर, लहर, किनारों ने

नदी की धार, समंदर, लहर, किनारों ने
लगाया पार हमेशा ही तेज़ धारों ने

सभी को रौशनी मिलती आसमां से
हमें तो अंधेरा ही बख़्शा है चाँद तारों ने

असीर हौसला उड़ने का दे रहे लेकिन
हमारे पंख काट दिए हैं हमारे सहारों ने

किसे करें शिक़ायत कि आइना अपना
किया है चूर चूर खुद अपने प्यारों ने

'निशा' खिजा ने हमारा ज़रूर साथ दिया
फरेब तो बारहा हमको दिया बहारों ने

मेरा दिल यूँ न दुखाने की कोई बात करो

मेरा दिल यूँ न दुखाने की कोई बात करो
प्यार में यूँ न सताने की कोई बात करो

ले उड़ा सुए-फलक प्यार तुम्हारा मुझ को
आसमां से न गिरने की कोई बात करो

मेरे हाथों की लकीरों में बसे हो जानम
तुम न यूँ उनको मिटाने की कोई बात करो

किस ने देखे हैं यहाँ यार मेरे सातों जनम
इसी जनम में निभाने की कोई बात करो

तुम को चाहा है, फकत, तुमको चाहेगी 'निशा'
भूलने की, न भूलने की कोई बात करो

ये बच्चे हमारे सायने हुए हैं

ये बच्चे हमारे सायने हुए हैं
ख्याल अब हमारे पुराने हुए हैं

वो नानी, वो दादी के किस्से पुराने
सभी भूले बिसरे फ़साने हुए हैं

कहाँ है वो ममता भरी छाँव तुम पे
कहाँ अब तुम्हारे ठिकाने हुए हैं

कब आओगे नूरे नज़र मेरे आगे
तुम्हे देखे अब तो ज़माने हुए हैं

कभी साथ धड़के 'निशा' दिल हमारे
तो फिर कैसे हम यूँ बेगाने हुए हैं

कहाँ ज़िंदगी की दुआ माँगते हैं

कहाँ ज़िंदगी की दुआ माँगते हैं
जुदा होके उनसे, कज़ा माँगते हैं|

रहें हम किसी पर न इक बोझ बनकर
न कुछ और इसके सिवा माँगते हैं|

तिजारत नहीं है हमारी मुहब्बत
वफ़ा का न हम कुछ सिला माँगते हैं|

सफ़र ज़िंदगी का तो लगता है मुश्किल
कोई हमसफ़र ऐ ख़ुदा माँगते हैं|

किए टुकड़े-टुकड़े 'निशा' जिसने दिल के
उसी की खुशी बारहा माँगते हैं|

लम्हा भी उसे याद किए बिना निकलता नहीं

लम्हा भी उसे याद किए बिना निकलता नहीं,
मेरे जहन से गये वक़्त सा गुज़रता नहीं|

वो मेरी रूह है साँसों में वो ही बसता है,
बगैर उसके मेरा दिल कभी धारकता नहीं|

हज़ार लोग मेरी राह से गुज़रते हैं,
वही है एक इधर कभी निकलता नहीं|

भले कहे कि वो कुछ नहीं मुझ से निस्बत,
उसकी नज़र मेरा प्यार सा झलकता नहीं|

'निशा' सब क समझने से फ़ायदा क्या हैं?
जिसे समझना है जब वो ही समझता नहीं|

दर्दे दिल का हिसाब रहने दो

दर्दे दिल का हिसाब रहने दो,
ख्वाबों में ही ख्वाब रहने दो|

बचना चाहो जो कांटो से तुम,
शाख पर गुलाब रहने दो|

तुमने सुख चैन मेरा ले लिया,
दर्द की अब किताब रहने दो|

तुम से नही कोई सवाल मेरा,
पास अपने जवाब रहने दो|

हाले दिल सब जानते हैं 'निशा'
लब न खोलो जनाब रहने दो|

परचमें इश्क़ लहरा दिया

परचमें इश्क़ लहरा दिया
फिर दिलों जां से पहरा दिया

आखों में दर्दो गम का मेरे
एक समंदर सा ठहरा दिया

देखकर के सरे-बज्म में
जख़्म ज़ालिम ने गहरा दिया

तेरे दीदार से न भरे मेरा दिल
क्यों खुदा ने वो चेहरा दिया

क्या कमी थी जो मुझ में 'निशा'
मेरी प्यास को सहरा दिया

अश्क हैं कीमती यूँ न जाया करो

अश्क हैं कीमती यूँ न जाया करो
बेबस बात को न उठाया करो

भरमाते रहे हैं, जो सपने उन्हें
आखों में तुम कभी न बसाया करो

जो भरम खोल दे सब तेरे दर्द का
गीत ऐसे कभी भी न गया करो

आँख की बात को जो उजागर करे
आँख उनसे कभी न मिलाया करो

मुंतीजर हैं फकत हम तो दीदार के
चाह इतनी सी है न सताया करो

लब पे रखके हँसी दिल में रोते हैं लोग

लब पे रखके हँसी दिल में रोते हैं लोग
इस तरह ज़िंदगी अपनी जीते हैं लोग|

प्यार के वास्ते है, ये कम बहुत ज़िंदगी
नफ़रातों को फिर कैसे निभाते हैं लोग|

ए ख़ुदा खूबसूरत जहाँ में यहाँ तेरे
क्यों नहीं मिलके आपस में रहते हैं लोग|

देख बचपन सिसकता हुआ सड़कों पे
कर के बंद अपनी आखें चलते हैं लोग|

अपनी साँसें रहे न रहे ए निशा
वो मेरा ही रहेगा यही कहते हैं लोग|

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

ए ख़ुदा, ए ख़ुदा, ए ख़ुदा

ए ख़ुदा, ए ख़ुदा, ए ख़ुदा
हर बशर रो रहा ए ख़ुदा

हर तरफ आज दुश्वरिया
वक़्त क्या आ गया ए ख़ुदा

ज़िंदगी क्या से क्या हो गयी
राह हम को बता ए ख़ुदा

और क्या दे सकेंगे उसे
हम वफ़ा के सिवा ए ख़ुदा

है दुआ वो सदा खुश रहे
कर मुझे ग़म अता ए ख़ुदा

जूस्तज़ू आख़िरी है 'निशा'
उनका जलवा दिखा ए ख़ुदा

जो दिखाई न दे ख़ुदा कैसे हो

जो दिखाई न दे ख़ुदा कैसे हो
दिल में रहता है जो वो जुदा कैसे हो

तुम ही तुम जब बसे हो मेरे दिल में तो
फिर मेरा दिल किसी पे फिदा कैसे हो

खूबसूरत तो है वो मगर है ग़रीब
बाप के घर से बेटी विदा कैसे हो

लोग बेघर हुए जो तेरे कहर से
तू ही उनका खुदा तो सदा कैसे हो

लूटने जो लगे माँ की अस्मत निशा
दूध का कर्ज़ उनका अदा कैसे हो

जैसे तैसे जोड़ दिया है

जैसे तैसे जोड़ दिया है
तुमने तो दिल तोड़ दिया है

हम तो भटके पहले ही थे
खूब नया ये मोड़ दिया है

समझ के भी ना समझे से
किसको को किससे जोड़ दिया है

जज्बो को अब रुसवा कर के
किस्सा कह कर छोड़ दिया है

आज अभी भी, रस्ते में हूँ
यार कहाँ पर कोहड़ दिया है

दोष निशा अब औरों पर क्यों?
भाग हमीं ने फोड़ दिया है

- नसीमा निशा