शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

अश्क हैं कीमती यूँ न जाया करो

अश्क हैं कीमती यूँ न जाया करो
बेबस बात को न उठाया करो

भरमाते रहे हैं, जो सपने उन्हें
आखों में तुम कभी न बसाया करो

जो भरम खोल दे सब तेरे दर्द का
गीत ऐसे कभी भी न गया करो

आँख की बात को जो उजागर करे
आँख उनसे कभी न मिलाया करो

मुंतीजर हैं फकत हम तो दीदार के
चाह इतनी सी है न सताया करो

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