अश्क हैं कीमती यूँ न जाया करो
बेबस बात को न उठाया करो
भरमाते रहे हैं, जो सपने उन्हें
आखों में तुम कभी न बसाया करो
जो भरम खोल दे सब तेरे दर्द का
गीत ऐसे कभी भी न गया करो
आँख की बात को जो उजागर करे
आँख उनसे कभी न मिलाया करो
मुंतीजर हैं फकत हम तो दीदार के
चाह इतनी सी है न सताया करो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें