शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

ए ख़ुदा, ए ख़ुदा, ए ख़ुदा

ए ख़ुदा, ए ख़ुदा, ए ख़ुदा
हर बशर रो रहा ए ख़ुदा

हर तरफ आज दुश्वरिया
वक़्त क्या आ गया ए ख़ुदा

ज़िंदगी क्या से क्या हो गयी
राह हम को बता ए ख़ुदा

और क्या दे सकेंगे उसे
हम वफ़ा के सिवा ए ख़ुदा

है दुआ वो सदा खुश रहे
कर मुझे ग़म अता ए ख़ुदा

जूस्तज़ू आख़िरी है 'निशा'
उनका जलवा दिखा ए ख़ुदा

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